हरतालिका तीज व्रत कथा: पढ़ें शिव-पार्वती के अटूट प्रेम की संपूर्ण कहानी, जानें महत्व और नियम
संपूर्ण हरतालिका तीज व्रत कथा: जब पार्वती का हुआ ‘हरत’ पौराणिक मान्यताओं और शिव पुराण के अनुसार, इस कथा का आरंभ देवी पार्वती के पूर्व जन्म से होता है, जब वह दक्ष प्रजापति की पुत्री सती थीं। अपने पिता के यज्ञ में पति शिव का अपमान सहन न कर पाने के कारण उन्होंने स्वयं को योगाग्नि में भस्म कर दिया था। अपने अगले जन्म में उन्होंने पर्वतराज हिमालय और मैना की पुत्री ‘पार्वती’ के रूप में जन्म लिया। 1. पार्वती का अटूट संकल्प : बाल्यावस्था से ही पार्वती के मन में भगवान शिव के प्रति गहरा अनुराग था। जैसे-जैसे वह बड़ी हुईं, उनका यह अनुराग अटूट प्रेम और शिव को पति रूप में पाने के संकल्प में बदल गया। उन्होंने नारद जी से शिव को प्रसन्न करने का उपाय पूछा और उनकी सलाह पर कठोर तपस्या करने का निश्चय किया। 2. पिता की चिंता और नारद मुनि का आगमन: पर्वतराज हिमालय अपनी बेटी को कठोर तप करते देख अत्यंत चिंतित और दुखी रहते थे। एक दिन, देवर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती के विवाह का प्रस्ताव लेकर हिमालय के पास पहुंचे। अपनी बेटी के लिए त्रिलोक के स्वामी, भगवान विष्णु जैसा वर पाकर हिमालय अत्यंत प्रसन्न हुए और ...